खाद्यान्न की गुणवत्ता की निगरानी

खाद्यान्न की गुणवत्ता की निगरानी:

क.  भौतिक गुणवत्ता निगरानी
ख.   रासायनिक गुणवत्ता निगरानी
ग.   कीटनाशक अवशिष्ट
घ.   मायकोटॉक्सिन संदूषण
 

क.भौतिक गुणवत्ता निगरानी: खाद्यान्‍नों के संचलन और भंडारण के दौरान खाद्यान्नों की भौतिक गुणवत्ता की निगरानी/निरीक्षण एफएसएसएआई के मानदंडों और खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी की गई एकसमान विनिर्दिष्‍टियों के अनुसार किया जाता है।  
खरीद के समय पर (मंडियों, खरीद केंद्रों आदि में)।
भंडारण के दौरान
 

  1. किसानों के स्तर पर भंडारण
  2. व्यापारी स्तर पर भंडारण
  3. सरकारी भंडारण एजेंसियां

 

ख. रासायनिक गुणवत्ता की निगरानी: विभिन्न प्रकार के भंडारण जैसे बल्क भंडारण (साईलोज) बोरियों आदि में रासायनिक गुणवत्ता की निगरानी की जाती है। खाद्यान्न के नमूने समय-समय पर अलग-अलग भंडारण एजेंसियों जैसे सरकारी भंडारण एजेंसियों, निजी भंडारण एजेंसियों (व्यापारियों) आदि से लिए जाते हैं और रासायनिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उनका विश्लेषण किया जाता है।

 रासायनिक गुणवत्ता के मानदंडों के अतिरिक्त खाद्यान्न के नमूनों की निगरानी उनकी भंडारण की अवधि और भंडारण परिवेश के प्रकार के अनुपात में जैव रासायनिक और पौष्टिक तत्वों में परिवर्तन के संदर्भ में भी की जाती है। अनुसंधान एवं विकास अध्ययन के मामले में इन्हीं रासायनिक गुणवत्ता मानदंडों का अनुपालन किया जाता है।

ग.कीटनाशक अवशिष्ट: खाद्यान्नों को कीटों (कीड़ों, चूहों, सूक्ष्मजीवों आदि) से मुक्त करने के लिए विभिन्न स्तरों (सरकारी/वाणिज्यिक/निजी/किसान) स्तरों पर भंडारण में रखे खाद्यान्‍नों का विभिन्न क़िस्मों के कीटनाशकों से उपचार किया जाता है। इस संदर्भ/स्थिति में कीटनाशकों का अवशिष्ट खाद्यान्नों, खाद्यान्न के भण्डारण पात्रा आदि के भीतर उपस्थित हो सकता है। खाद्यान्नों में ऐसे अपशिष्ट की जाँच तथा से उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भंडारण के विभिन्न स्तरों से इस संस्थान द्वारा खाद्यान्नों के नमूने के विश्लेषण और निगरानी का कार्य कराया जा रहा है।

घ.मायकोटॉक्सिन संदूषण: सरकार/निजी व्यक्तियों/किसानों द्वारा भंडारण में रखे खाद्यान्नों में भंडारण परिवेश में परिवर्तन के कारण सूक्ष्मजीवों (फफूंद, बैक्टीरिया, एक्टिनोमायसीस आदि) प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हो जाते हैं और इन सूक्ष्मजीवों के चयापचय की प्रक्रिया के कारण खाद्यान्नों में विषाक्त पदार्थ उत्पन्न हो जाते हैं, जो मनुष्यों और पालतू पशुओं आदि के लिए खतरनाक हो सकते हैं। उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के हित में संस्थान में खाद्यान्नों में उनका विश्लेषण करके इन मायकोटॉक्सिन प्रदूषकों की निगरानी की जाती है।