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भारतीय अनाज संचयन प्रबंधन एंव अनुसंधान संस्थान, हापुड़ और हैदराबाद तथा लुधियाना स्थित इसके दो फील्ड स्टेशन खाद्यान्नों की फसल कटाई उपरान्त की प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर अनुप्रयुक्त अनुसंधान और विकास गतिविधियां चला रहे हैं। अन्यत्र विकसित भंडारण पौद्योगिकी का परीक्षण भी भारतीय परिस्थितियों में किया जाता है। इसके अलावा, भौतिक एंव रासायनिक मानको, कीटनाशक अवशिष्ट और कवकजिनत संदूषण आदि के लिए खाद्यान्नों के नमूनों का विश्लेषण करके खाद्यान्नों की गुणवत्ता की देखभाल की जाती है।
1. भारतीय अनाज संचयन प्रबंधन एंव अनुसंधान संस्थान ने कीटों, चूहों, पक्षियों और सूक्ष्म जीवों के नियंत्रण के लिए सस्ती प्रौद्योगिकी की संस्तुति करके उचित वैज्ञानिक भंडारण और रखरखाव के लिए पद्धति संहिता का विकास किया है।
2. विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थितियों के अधीन इन घटकों के कारण होने वाली हानि की प्रकृति, सीमा और स्तर की जांच करना।
3. भंडारित अनाज में, मूषक और कवक के नियंत्रण के लिए क्रमश: नए कीटनाशकों, कृंतक मूषकनाषकों, कवक नाशियों तथा गैर रासायनिक विधियों का परीक्षण करना।
4. खाद्यान्नों की हानियों का आकलन करना और उनका मात्रात्मक तथा गुणवत्ता संबंधी अनुमान लगाना।
5. कीट नियंत्रण विधियों का आकलन करना और खाद्यान्नों की सुरक्षित भंडारण पद्धतियों का विकास करना।
6. भंडारित अनाज के कीटों बाधा में कीटनाशक/पीड़कनाशक प्रतिरोध पर अध्ययन करना।
7. विभिन्न स्तरों पर भंडारित खाद्यान्नों में कीटनाशक अवशिष्ट और कवक जनित संदूषण की मॉनिटरींग करना।
प्रयोगशाला तथा वास्तविक भंडारण परिस्थितियों के अधीन विभिन्न खाद्यान्नों की गुणवत्ता संबंधी संग्रहणीयता को प्रभावित करने वाले घटकों का मूल्यांकन करना। भारतीय अनाज संचयन प्रबंधन और अनुसंधान संस्थान विभिन्न जैविक और अजैविक कारकों से भंडारण के दौरीन खाद्यान्नों की सुरक्षा करने के लिए नई प्रबंधन प्रौद्योगिकी के विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। भारतीय अनाज संचयन प्रबंधन और अनुसंधान संस्थान की बहुराष्ट्रीय कंपनियों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय खाद्य निगम और अन्य संस्थाओं के साथ भी कुछ सहयोगात्मक अनुसंधान और विकास परियोजनाएं हैं।