पीआरए प्रयोगशाला

कीटनाशक अवशिष्ट और माइकोटाक्सिन विश्लेषण प्रयोगशाला

यह प्रयोगशाला देश में अपने प्रकार की आधुनिक प्रयोगशालाओं में से एक है, जहां कीटनाशकों के अवशिष्‍ट के लिए खाद्यान्‍नों की पूर्ण जांच की जाती है, जो भार भारतीय परिस्‍थितियों में भंडारित अनाज में कीट नियंत्रण करने के लिए उपयोग किए जा रहे हैं जैसे कि मैलाथियान, डेल्‍टामैथ्रिन, एल्‍यूमीनियम फास्‍फाइड और डाइक्‍लोरोफॉस तथा एफ्लाटाक्‍सिन ए और एफ्लाटाक्‍सिन बी जैसे माइकोटाक्‍सिन संदूषक। इस प्रयोगशाला का नवीकरण किया गया है और इसे जीई-ईसीडी, जीसीएमएस/एएस, एलसीएमएस/एमएस और एचपीएलसी जैसे  संवेदनशील विश्‍लेषण उपकरणों से सुसज्‍जित किया गया है।

 

गैस क्रोमेटोग्राफी – इलेक्‍ट्रान कैपचर डिटेक्‍टर अथवा जीसी-ईसीडी​

गैस क्रोमेटोग्राफी एक साधारण प्रकार की क्रोमेटोग्राफी है जिसका उपयोग उन योगिकों को अलग और विश्‍लेषित करने के लिए विश्‍लेषणात्‍मक रसायन शास्‍त्र में किया जाता है जो बिना अपघटन हुए भाप बनकर उड़ सकते हैं। जीसी के विशिष्‍ट उपयोगों में विशिष्‍ट पदार्थ की शुद्धता की जांच करना, अथवा मिश्रण के विभिन्‍न तत्‍वों को अलग करना (ऐसे तत्‍वों की संगत मात्रा भी निर्धारित की जा सकती है) शामिल है। कुछ परिस्‍थितियों में जीसी यौगिक की पहचान करने में सहायता कर सकती है। प्रिपरोटिव क्रोमेटोग्राफी में जीसी का उपयोग मिश्रण से शुद्ध यौगिक तैयार करने में किया जा सकता है।

 

विश्‍लेषित किए जा रहे गैसीय यौगिक कॉलम की दीवार से क्रिया करते हैं जिन पर स्‍थयी फेज की रिटेन्शन पीरियड परत चढ़ी होती है। इससे विभिन्‍न समय में यौगिक इल्‍यूट हो जाता है जिसे यौगिक का रखरखाव समय कहा जाता है। इसी समय की तुलना वह निष्‍कर्ष है जो जीसी को विश्‍लेषणात्‍मक उपयोगिता प्रदान करता है।

 

इलेक्‍ट्रान कैप्‍चर डिटेक्‍टर इलेक्‍ट्रान कैप्चर अयानीकरण के जरिए इलेक्‍ट्रान के जुड़ाव के कारण गैस में एटम और अणुओं का पता लगाने का उपकरण है। इस उपकरण की खोज 1957 में जैम्‍स लवलॉक द्वारा की गई थी और इसका उपयोग नमूने में रासायनिक योगिकों के रेशों की मात्रा का पता लगाने के लिए क्रोमेटोग्राफी में किया जाता है।

 

GCECD

 

गैस क्रोमेटोग्राफी – मास स्‍पेक्‍ट्रोमेट्री (जीसी-एमएस)​

गैस क्रोमेटोग्राफी – मास स्‍पेक्‍ट्रोमेट्री (जीसी-एमएस) एक विश्‍लेणानात्‍मक विधि है जो परीक्षण नमूने के अंदर विभिन्‍न पदार्थों की पहचान करने के लिए गैस क्रोमेटोग्राफी और मास मेट्री (जीसी-एमएस) का उपयोग ड्रग्स का पता लगाना, अग्‍नि के कारणों की जांच, पर्यावरणीय विश्‍लेषण, विस्‍फोटक की जांच और अज्ञात वस्तुओं के नमूनों की पहचान करना शामिल है जिसमें 1970 की शुरुआत में खोज मिशन के दौरान मंगल ग्रह से प्राप्‍त सामग्री के जाँच नमूनों भी इसी से की गई थी।

 

गैस क्रोमेटोग्राफी – मास स्‍पेक्‍ट्रोमेट्री (जीसी-एमएस) का उपयोग सामान में अथवा मनुष्‍य के पास पदार्थों का पता लगाने के लिए हवाई अड्डों की सुरक्षा में भी किया जा सकता है। इसके अलावा इससे उन तत्‍वों का पता लगाया जा सकता है जिन्‍हें पहले पहचान से परे माना जाता था। तरल क्रोमेटोग्राफी – मास स्‍पेक्‍ट्रोमेट्री की तरह इससे पदार्थ की बहुत छोटी मात्रा की भी पहचान और विश्‍लेषण किया जा सकता है।

 

GCMS

 

 

लिक्विड क्रोमेटोग्राफी – मास स्‍पेक्‍ट्रोमेट्री (एलसी-एमएस)

 

तरल क्रोमेटोग्राफी – मास स्‍पेक्‍ट्रोमेट्री (एलसी-एमएस) एक विश्‍लेषणात्‍मक रासायनिक तकनीक है जो भार स्‍पेक्‍ट्रोमेट्री (एमएस) की भार विश्‍लेषण क्षमताओं के साथ तरल क्रोमेटोग्राफी (अथवा एचपीएलसी) की भौतिक विलगन क्षमता के साथ जोड़ता है। कपल्ड क्रोमेटोग्राफी –एमएस प्रणाली रासायनिक विश्‍लेषण में लोकप्रिय है क्‍योंकि प्रत्‍येक तकनीक की अलग-अलग क्षमताएं एकीकरण होकर बढ़ जाती है।

यद्यपि तरल क्रोमेटोग्राफी गुणक तत्‍वों के साथ मिश्रण को अलग-अलग करती है लेकिन मास स्‍पेक्‍ट्रोमेट्री प्रत्‍येक तत्‍व की अवसंरचनात्‍मक पहचान करती है जिसमें उच्‍च अणु विशिष्‍टता और पता लगाने की संवेदनशीलता होती है। इस संयुक्त तकनीक का उपयोग जैव रासायनिक, कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों का विश्‍लेषण करने के लिए किया जाता है जो आमतौर पर पर्यावरणीय और जैविक मूल के जटिल नमूनों में पाए जाते हैं। अत: एलसी-एमएस को जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरण मानिटरिंग, खाद्य प्रसंस्‍करण और औषधि विज्ञान, कृषि रसायन तथा श्रृंगार उद्योग सहित व्‍यापक क्षेत्रों में प्रयुक्‍त किया जा सकता है।

 

LCMS

 

 

उच्‍च कार्यनिष्‍पादन तरल क्रोमेटोग्राफी (एचपीएलसी)

 

उच्‍च कार्यनिष्‍पादन तरल क्रोमेटोग्राफी (एचपीएलसी): पूर्व में इसे उच्‍च दाब तरल क्रोमेटोग्राफी कहा जाता था) विश्‍लेषणात्‍मक रसायन में एक तकनीक है जिसका उपयोग मिश्रण में प्रत्‍येक तत्‍व को अलग करने, पहचान करने और मात्रा का हिसाब लगाने के लिए किया जाता था। यह नमूना मिश्रण वाले तरल साल्‍वेंट को ठोस ऐबजोरबेंट सामग्री से भरे कॉलम के जरिए दाब युक्‍त तरल को गुजारने पंप पर निर्भर है। नमूने में प्रत्‍येक तत्‍व एबजोरबेंट सामग्री के साथ  भिन्‍न रुप से क्रिया करते हैं जिससे भिन्‍न तत्‍वों के प्रवाह की दर भिन्‍न होती है औेर जैसे ही वे कॉलम से बाहर निकलते हैं, प्रत्‍येक तत्‍व अलग-अलग हो जाता है।

 

एचपीएलसी का उपयोग निर्माण (अर्थात औषधि और जैविक उत्‍पादों के उत्‍पादन की प्रक्रिया के दौरान), कानूनी (अर्थात मूत्र में कार्यनिष्‍पादन बढ़ाने वाली औषधि का पता लगाना), अनुसंधान (अर्थात जटिल जैविक नमूने के तत्‍वों को अलग करना अथवा एक-दूसरे से एक ही प्रकार के सिंथेटिक रसायनों को अलग करना) और चिकित्‍सा (अर्थात रक्‍त सिरम में विटामिन डी के स्‍तर का पता लगाना) आदि प्रयोजनों के लिए किया जाता है।

 

संस्थान में खाद्यान्‍नों में माइकोटाक्‍सिन तत्‍व अर्थात एफलाटाक्‍सिन ए,बी आदि माइकोटाक्‍सिन तत्‍व का विश्‍लेषण करने के लिए इस उपकरण का उपयोग किया जा रहा है।
 

 

HPLC